ये सच है कि, पीड़ा एक खूबसूरत
अंत चाहती है
पर कुछ पीड़ाओं का अंत
शायद हम नहीं चाहते 😊
बंधे रहते हैं, उससे बिना डोर के
मन्नतों के धागों सा मजबूत
मन के किसी कोने में बसा लेते हैं
पारिजात के पुष्प की सुंगध की तरह,,
मालूम है कि नहीं समेट सकते
खूशबूओं को,हवाओं को,
अनकहे जज़्बात और प्रेम की धाराओं को 😊
फिर भी लड़ते हैं,
और फिर अचानक ही आती है प्रलय
तोड़ती हुई सारे भ्रमों को, सावचेत करती हैं
तुम जिन पीड़ाओं को जिए जा रहे हो अकेले,
कोई तुमसे और संसार से तुम्हारे मुक्त
अपने आप में विलीन हो चुका है 🌼😊
आँचल सोनी 'हिया'
24-Sep-2022 12:25 PM
Bahut khoob 💐👍
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